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टच टाइपिंग: एक नजर इतिहास और विकास पर

टच टाइपिंग, एक तकनीक जिसमें व्यक्ति बिना स्क्रीन देखे कीबोर्ड पर टाइप करता है, आज के डिजिटल युग में एक आवश्यक कौशल बन चुका है। इसका इतिहास और विकास एक दिलचस्प यात्रा है, जो शुरुआती यांत्रिक टाइपव्राइटर से लेकर आधुनिक कंप्यूटर कीबोर्ड तक फैली हुई है।

प्रारंभिक युग:

टच टाइपिंग की शुरुआत 19वीं सदी के अंत में हुई, जब क्रिस्टोफर शोल्स ने 1868 में पहले टाइपव्राइटर का पेटेंट कराया। प्रारंभ में, टाइपव्राइटर के लिए टाइपिंग तकनीक विशेष रूप से देखे बिना टाइप करने की आवश्यकता नहीं थी। लेकिन जब कीबोर्ड की व्यवस्था और डिज़ाइन में सुधार हुआ, तो टाइपिंग दक्षता को बढ़ाने के लिए नई तकनीकों की आवश्यकता महसूस की गई।

20वीं सदी में विकास:

1910 के दशक में, फ्रैंक ए. पॉट्स और अन्य शिक्षकों ने टच टाइपिंग तकनीक पर शोध करना शुरू किया। इस दौरान, उन्होंने "टच टाइपिंग" को एक व्यवस्थित तरीके से सिखाने के लिए पाठ्यक्रम विकसित किए, जिसमें कीबोर्ड पर अंगुलियों के सही स्थान और उपयोग के लिए नियम शामिल थे। यह समय था जब "हंट-एंड-पीक" टाइपिंग से टच टाइपिंग की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव आया, जिससे टाइपिंग की गति और सटीकता में सुधार हुआ।

डिजिटल युग में प्रवेश:

1980 और 1990 के दशक में, कंप्यूटर के आगमन के साथ, टाइपिंग की तकनीक में और भी सुधार हुआ। डेस्कटॉप कंप्यूटर और लैपटॉप के लोकप्रिय होने के साथ, टच टाइपिंग ने तेजी से महत्वपूर्ण रूप ले लिया। इस अवधि में, विभिन्न टाइपिंग सॉफ़्टवेयर और ऑनलाइन टूल्स ने टाइपिंग की शिक्षा को अधिक सुलभ और प्रभावी बना दिया।

आधुनिक युग:

आज, टच टाइपिंग एक मानक कौशल बन चुका है। शिक्षण ऐप्स, ऑनलाइन कोर्सेज और विभिन्न खेलों के माध्यम से टाइपिंग को मजेदार और प्रभावी तरीके से सिखाया जाता है। इसके साथ ही, टाइपिंग की गति और सटीकता को मापने के लिए उन्नत सॉफ़्टवेयर और तकनीकें उपलब्ध हैं।

टच टाइपिंग का इतिहास एक निरंतर विकास यात्रा है, जिसने समय के साथ टाइपिंग के तरीके को बदल दिया और इसे आज के डिजिटल युग में एक अनिवार्य कौशल बना दिया।